Hindi Ch- चित्र वर्णन ( 7 A, C ) 18/6/21
DATE- 17/6/21
DAY- THURSDAY
TOPIC TAUGHT- चित्र वर्णन
GRADE - 7 A
Homework- Complete worksheet of chitra varnan and upload on betweeenus.
DATE- 18/6/21
DAY- FRIDAY
TOPIC TAUGHT- चित्र वर्णन
GRADE - 7 C, A
* Achievement test taken
Homework- Complete worksheet of chitra varnan and upload on betweeenus.
किसी चित्र को देखकर उससे संबंधित मन में उठने वाले भावों को अपनी कल्पनाशक्ति के माध्यम से अभिव्यक्त करना ही ‘चित्र-वर्णन’ कहलाता है।
वर्णन के लिए दिया गया चित्र किसी घटना को दर्शाने वाला, कोई एक पूर्ण स्थिति को व्यक्त करने वाला, किसी व्यक्ति विशेष का या प्रकृति से संबंधित हो सकता है। किसी भी चित्र का वर्णन करते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
चित्र-लेखन की विशेषताएँ
- पहले चित्र को बारीकी से देख लेना चाहिए।
- चित्र में नज़र आ रही मुख्य बातों को बिंदुओं में लिख लेना चाहिए।
- चित्र में दिखाई दे रही वस्तुओं का वर्णन करते समय उसमें अपनी कल्पना के रंगों को भरना चाहिए।
- चित्र में दिखाई दे रहे व्यक्तियों के मुख के हाव-भाव के आधार पर चारित्रिक विशेषताएँ, सुख-दुख व आशा-निराशा का वर्णन करना चाहिए।
- यदि किसी महापुरुष अथवा चर्चित व्यक्ति का चित्र है तो उस व्यक्ति के प्रति निजी विचारों, भावों को प्रस्तुत किया जा सकता है।
- प्राकृतिक दृश्यों में कल्पना की उड़ान भरने का पूरा लाभ उठाया जा सकता है।
- भावों को अभिव्यक्त करते समय अच्छे शब्दों व भाषा का प्रयोग सराहनीय होता है।
- वाक्य रचना करते समय उक्तियों, मुहावरों व लोकोक्तियों का प्रयोग भी भाषा को सुंदर बनाता है।
- वाक्य रचना पर पूरा ध्यान दिया जाना चाहिए।
- उचित विराम-चिन्हों का प्रयोग भी आवश्यक होता है।
- चित्र वर्णन करना भी एक कला है जिसे अभ्यास के माध्यम से बेहतर बनाया जा सकता है।
- एक बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि चित्र-वर्णन करते समय अतिश्योक्ति का सहारा न लिया जाए अन्यथा अस्वाभाविक चित्रण अर्थ का अनर्थ भी कर सकता है।
चित्र वर्णन के उदाहरण
दिए गए चित्र को देखकर 20-30 शब्दों में उनका वर्णन कीजिए।
प्रस्तुत चित्र मंदिर का है। मंदिर एक ऐसा स्थान है, जहाँ व्यक्ति श्रद्धाभाव से जाता है और अपने इष्टदेव की पूजा करके मानसिक शांति पाता है। अतः प्रातः काल सभी लोग मंदिर जाते हैं। इस चित्र में एक महिला हाथ में पूजा की थाली लिए मंदिर जा रही है। हिंदू धर्म में वृक्ष की पूजा का विधान है इसलिए प्रत्येक मंदिर के बाहर पीपल या केला का पेड़ एवं तुलसी का पौधा होता है। इस चित्र में भी एक वृक्ष है जिसके सामने खड़े होकर एक महिला पूजा कर रही है। एक बच्चा पूजा के लिए जाती हुई महिला से भिक्षा माँग रहा है उसके एक हाथ में पात्र है और उसने दूसरा हाथ भिक्षा के लिए फैला रखा है। सीढ़ियों के पास एक बच्चा बैठा है, जो कि अपाहिज है। वह मंदिर में आने वाले भक्तों से दया की भीख चाहता है।
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